छत्तीसगढ़ के
गृहमंत्री विजय शर्मा शुक्रवार को एक
दिवसीय प्रवास पर बस्तर पहुँचे। बीजापुर दौरे के बाद देर रात वे जगदलपुर पहुँचे, जहाँ उन्होंने आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों से मुलाक़ात की।
लालबाग स्थित पुनर्वास केंद्र में गृहमंत्री ने करीब एक घंटे तक पूर्व नक्सलियों
से खुलकर बातचीत की। उनकी बातें सुनीं, दर्द जाना और भरोसा दिलाया कि अब सरकार सिर्फ़ बंदूक नहीं, बल्कि ज़िंदगी और अमन (शांति) की राह दिखाना
चाहती है।
मीडिया से चर्चा
करते हुए गृहमंत्री विजय शर्मा ने सख़्त लेकिन साफ़ लहज़े में कहा — जो नक्सली अब भी जंगलों में हैं, वे समझ लें — यह आख़िरी मौक़ा है। आत्मसमर्पण करें, वरना उन्हें जंगल में बंदूक लेकर घूमने
की इजाज़त नहीं दी जाएगी। ऑपरेशन किसी भी सूरत में नहीं रुकेगा। उन्होंने कहा कि
सरकार का उद्देश्य केवल नक्सलियों का सफाया नहीं, बल्कि उनकी सोच में तब्दीली लाना है। जो हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटना
चाहते हैं, उन्हें रोज़गार, सुरक्षा और सम्मानजनक ज़िंदगी दी जाएगी। लेकिन
जो हिंसा को ही रास्ता मानते हैं, उन्हें अब जंगल
में पनाह नहीं मिलेगी।
जबकि नक्सलियों की
नई रणनीति: जंगल से सोशल ग्राउंड तक
सूत्रों के
मुताबिक़, अब नक्सली संगठन
सीधे मुठभेड़ों से ज़्यादा जनसंपर्क और प्रचार की रणनीति अपना रहे हैं। सुरक्षा बलों के दबाव और बढ़ते ऑपरेशन के
कारण वे छोटे-छोटे गुटों में बंटकर जंगलों
के अंदरूनी इलाक़ों में सिमट गए हैं। कुछ नक्सली अब सोशल नेटवर्किंग और ग्राउंड
इन्फ्लुएंस के ज़रिए स्थानीय
युवाओं को फिर से गुमराह करने की कोशिश में हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि
नक्सली अब तकनीकी साधनों के ज़रिए अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन सरकार की "ऑपरेशन प्रहार" नीति ने उन्हें काफ़ी हद तक कमज़ोर कर दिया है।


